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प्रीवेट: भूसा को गीला करना



गेहूं का भूसा हमेशा चमकदार,मोटा, लंबा एवं ताजा होना चाहिए। उसे प्लेटफार्म पर एक परत की तरह फैला देना चाहिए,जिसकी ऊंचाई एक से डेढ़ फुट तक होनी चाहिए ।लंबाई और चौड़ाई चाहे जितना हो ,ध्यान रहे उसकी ऊंचाई डेढ़ फुट तक ही होना चाहिए। इसको अच्छी तरह से फैलाने के बाद,भूसे के ऊपरी सतह को एकसमान समतल कर देना चाहिए।


सूखे भूसे पर पहले समरसेबिल से पानी का अच्छे से छिड़काव करना चाहिए। इस पाइप  की मोटाई कम से कम 2 इंच होनी चाहिए। अब भूसे पर पानी का छिड़काव शुरूकर देना चाहिए। इसमें यह ध्यान रखना जरूरी है कि पानी डालने वाला लड़का जब भूसे पर पानी डालता है, तो उसे लंबाई अथवा चौड़ाई के साथ उसको पूरब से पश्चिम या उत्तर से दक्षिण की दिशा में चलता हुआ पानी का छिड़काव करना चाहिए, यहाँ पर यह विशेष ध्यान रखें कि वह किसी एक स्थान पर खड़े होकर अथवा बैठकर पानी न लगाएं ।

भूसे के स्टैक से पानी रिस कर गुडी पिट में जायेगा, और जब गुडी पिट के पानी का स्तर बढ़े, तब आप गुडी पिट का पानी से भूसे के उपर पानी का छिड़काव करना शुरु कर दे। अगर टैंक में  पर्याप्त पानी नहीं है तो समरसेबिल का भी पानी इस्तेमाल कर सकते हैं, वह पानी सीधा भूसे पर जाना चाहिए। पर्याप्त पानी की कमी होने पर, एक पाइप ताजा पानी की और दूसरा पाइप गुड़ी पिट का चलना  चाहिए । भूसा को जल्द से जल्द गीला करना एक महत्वपूर्ण कार्य है। याद रहे कि भूसे के ऊपर एक वैक्स कोटिंग होता है । जिसके कारण भूसा गीला करना एक मुश्किल कार्य हो जाता है। कोशिश करे कि सारे भूसे के प्रत्येक कण की ऊपरी सतह,24 घंटे में गीला हो जाय l

भूसे में पानी छिड़काव के 2 दिन बाद उसे जेसीबी के द्वारा पलटी करनी चाहिए, जिससे अधिक गीला और कम गीला वाला भूसा अच्छी तरह मिश्रित हो जाए। उसके बाद इसे दोबारा उसी प्रकार से स्टैक लगाना चाहिए, जिसकी ऊंचाई डेढ़ फुट रहे और इसे दोबारा ऊपर से समतल कर देना चाहिए। याद रहे पानी का छिड़काव रुकना नहीं चाहिए।

अगर गुड़ी पिट में पर्याप्त पानी है तो ताजा पानी  रोका जा सकता है और केवल गुडी पिट का पानी को ही इस्तेमाल करना चाहिए ।इस तरह पानी डालने की प्रक्रिया पूरे 5 दिन चलनी चाहिए,यह विशेष ध्यान रखें कि वह किसी एक स्थान पर खड़े होकर अथवा बैठकर पानी ना लगाएं । पानी छिड़काव करने की यह प्रक्रिया दिन और रात लगातार चलना चाहिए।

मशरूम कंसल्टेंट विवेक सिन्हा का कहना कि प्रीवेट करना (भूसे में पानी डालना) कंपोस्ट का सबसे जरुरी प्रक्रिया है, अगर हम इस प्रक्रिया को सुचारु रुप से करें तो बहुत सारी समस्याएं नहीं आएंगे। उनमें से एक है फेस टू में अत्यधिक टेंपरेचर बढ़ना । फेस 2 चेंबर में कंपोस्ट ओवर एक्टिव रहता है और उसका टेंपरेचर बहुत तेजी से बढ़ता है।स्पाॅन रन में भी अगर कम्पोस्ट ओवर ऐक्टिव है,तो यह एक गलत कंपोस्टिंग है,स्पष्ट रूप से गलत प्रीवेट की निशानी है। अतः हमें यह प्रक्रिया बड़े ही सावधानी के साथ करनी चाहिए ।


यह ध्यान रखना चाहिए कि 24 घंटे के अंदर, भूसे पर से वैक्स कोटिंग हट जाय (भूसा गीला होने के बाद ही वैक्स कोटिंग हटता है )। वैक्स कोटिंग  हटने के बाद ही पानी भूसे के अंदर प्रवेश करता है।  अतः भूसा गीला होने के बाद 3 से 4 दिन तक इस पर पानी लगे जिससे भूसे के प्रत्येक  कोशिकाओ के अंदर पानी प्रवेश कर जाय। यह कार्य अत्यधिक आवश्यक है, अगर यह पानी कम रहा तो आगे आप को परेशानी होती रहेगी और अच्छा कंपोस्ट नहीं बनेगा और  परिणामस्वरुप  अच्छा मशरुम नहीं आयेगा।


पूरे 5 दिन पानी लगने के बाद,छूने पर हल्का नरम और इसका रंग मस्टर्ड येलो (Mustard Yellow) जैसा हो जाएगा।अब यह अन्य खाद सामग्री के साथ मिलाने के लिए तैयार है।


शेष अगले ब्लॉग मे...


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